अंकशास्त्र

 अंकशास्त्र में हर व्यक्ति का एक अंक मुख अंक होता है जिसे अंक स्वामी बोलते हैं और इसी अंक स्वामी के द्वारा आपके भाग्य का आंकलन किया जाता है। अंक शास्त्र में प्रत्येक ग्रह के लिए 1 से लेकर 9 तक एक अंक निर्धारित किया गया है। अंक ज्योतिष में अंकों का विशेष स्थान होता है।

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अंक ज्योतिष एक महत्वपूर्ण प्राचीन विद्या है. इसे न्यूमरॉलजी भी कहा जाता है, जिसके द्वारा अंकों के माध्यम से व्यक्ति और उसके भविष्य को जानने का कोशिश की जाती है. अंक ज्योतिष में गणित के नियमों को प्रयोग कर किसी व्यक्ति के विभिन्न पक्षों और विचारधारा को बताया जा सकता है. अंक शास्त्र में नौ ग्रहों सूर्य, चन्द्र, गुरू, यूरेनस, बुध, शुक्र, वरूण, शनि और मंगल को आधार बनाकर उनकी विशेषताओं का आंकलन होता है.

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    अंक ज्योतिष का इतिहास

    अंक ज्योतिष एक पुरानी और विश्वसनीय कला है. यह भविष्य जानने के सबसे पुराने तरीकों में से एक है. अंक शास्त्र की सामान्य अवधारणा प्राचीन देश जैसे कि जापान, ग्रीस, भारत और मिस्र में देखने को मिलती है. अंक शास्त्र और इसकी विधाएं प्राचीन रोम और चीन जैसे देशों में भी प्रचलित थी. पाइथागोरस अंक शास्त्र के जनक जो कि एक यूनानी दार्शनिक भी थे. उनके द्वारा ही अंक शास्त्र की पद्धति विकसित हुई. परन्तु उन्हें अंक शास्त्र की खोज का श्रेय नहीं दिया जाता है. फिर भी उनके सिद्धांतों ने अंकशास्त्र के प्रसार और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.